आपस में मिलजुल कर, पृथ्वी को बनाएंगे "स्वर्ग"। आपस में मिलजुल कर, पृथ्वी को बनाएंगे "स्वर्ग"।
दिल चाहता है कितना उसे बताया भी नहीं जा सकता। दिल चाहता है कितना उसे बताया भी नहीं जा सकता।
खाली हाथों से उठेगा वक्त का बीड़ा नहीं, हुनर के दम पर ही जग में नाम होता है। खाली हाथों से उठेगा वक्त का बीड़ा नहीं, हुनर के दम पर ही जग में नाम होता है।
वर्षों से जो समाज, दबा कुचला था, उसके उत्थान का बीड़ा उठा लिया, वर्षों से जो समाज, दबा कुचला था, उसके उत्थान का बीड़ा उठा लिया,
क्यों अनदेखी हो रही है गरीब की लाचारी, हाय! कितने निर्दयी है यह व्यभिचारी। क्यों अनदेखी हो रही है गरीब की लाचारी, हाय! कितने निर्दयी है यह व्यभिचारी।
तुम्हारे नैनों की दिखती पीड़ा, खत्म हो जाये उठाऊँ बीड़ा, तुम्हारे नैनों की दिखती पीड़ा, खत्म हो जाये उठाऊँ बीड़ा,